बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन
प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
भारत के निकटतम पड़ोसी पाकिस्तान से मिल रही सुरक्षा चुनौतियों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर -
क्लाज़विट्ज के कथानुसार राजनैतिक आक्रमणकर्ता सदैव अपने पड़ोसी को कब्जे में रखना चाहता है। यह खतरा उस समय और अधिक बढ़ जाता है, जब पड़ोसी संगठित रूप से अपनी सुरक्षा करके शत्रु का विरोध करता है। वह प्रतिरक्षा के नाम पर अपनी शक्ति बढ़ाता है और दिखावे के लिए राजनीतिक सहानुभूति जताता रहता है। इसी सन्दर्भ में हमें वास्तविकता से परिचित होना है। अर्थात किसी राष्ट्र के लिए भविष्य में उसकी सुरक्षा को उत्पन्न होने वाले खतरों के मूल स्रोतों और प्रकार का सही अनुमान लगा लेना जितना जरूरी है, वहीं उससे अधिक कठिन भी है। इसका कारण यह है कि भविष्य में क्या होगा यह किसी को नहीं पता है। उदाहरणार्थ, भारत-चीन युद्ध 1962 में अक्टूबर तक भारत को इस बात का जरा भी अन्दाजा नहीं था कि चीन-भारत पर हमला कर देगा। इसी प्रकार ईरान और इराक के युद्ध से पूर्व किसी को भी पूर्वाभास नहीं था कि ये दोनों मुस्लिम देश युद्ध कर सकते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि खतरों के सम्बन्ध में ठीक-ठीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसका कारण यह माना जाता है कि अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में दूसरे राष्ट्रों की नीतियाँ परिवर्तनशील होती हैं।
किसी देश की सुरक्षा के लिए दो रूपों में खतरे पाये जाते हैं -
1. सैनिक खतरा
2. असैनिक खतरा।
सैनिक खतरे दो प्रकार के होते हैं- पारम्परिक तथा अपारम्परिक खतरे।
भारत को भी सैनिक तथा असैनिक दोनों ही प्रकार के खतरे हैं। सैनिक खतरों में भारत पारम्परिक खतरों को तो झेल ही रहा है साथ ही अपारम्परिक खतरों की भी संभावना बनी हुई है। वर्तमान समय में भारत को अपने दो पड़ोसी राष्ट्रों पाकिस्तान तथा चीन से सम्भावित युद्ध का खतरा बना हुआ है।
पाकिस्तान से खतरा
1947 से लेकर 1999 तक पाकिस्तान भारत पर प्रत्यक्ष रूप से चार बार आक्रमण कर चुका है। पहले हमले के साथ ही पाकिस्तान से भारत को खतरे की भविष्यवाणी हो चुकी थी। कश्मीर समस्या को लेकर पाकिस्तान ने चीन से सीमा सम्बन्धी समझौता भी किया। पाकिस्तान आजकल पूर्णरूप से अमेरिका के खेमे में है और वह अमेरिका से दूर तक मार करने वाले शस्त्र खरीद रहा है। बहुत पहले भारत तथा पाकिस्तान के मध्य कच्छ की सीमा को लेकर सम्बन्ध खराब हुए थे। उस समय इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री विल्सन ने इस सीमा समस्या को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझा दिया था। तब यह आशा की गई थी कि भारत तथा पाकिस्तान के बीच जहाँ कहीं भी विवादित विषय है उनका निपटारा शांतिपूर्ण ढंग से किया जा सकता है और भारत को अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान से कोई खतरा नहीं है, परन्तु 1965 और 1971 के युद्ध करके पाकिस्तान ने इस भ्रम को तोड़ दिया। 1971 के युद्ध में रूस और भारत की मित्रता प्रगाढ़ हुई। उसने संसार के सामने भारत का स्पष्ट पहलू रखा कि भारत किसी दूसरे देश पर आक्रमण करने के पक्ष में नहीं है। इतना ही नहीं जब अमेरिका ने पाकिस्तान की सहायता के लिए अपना सातवां बेड़ा समुद्र में भेजा तो उस समय युद्ध की भयावहता को देखते हुए रूस ने भी अपने समुद्री बेड़े को समुद्र में उतार दिया। इससे एक भयंकर खतरा टल गया। इसी युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गये दूसरा टुकड़ा बंग्लादेश के रूप में सामने आया। पाकिस्तान से युद्ध के खतरों के अतिरिक्त एक अन्य खतरा आतंकवाद के रूप में भी भारत के लिए सिरदर्द बना बना हुआ है। बंग्लादेश के रास्ते तस्करी तथा आतंकवादियों का भारत में प्रवेश भारतीय आंतरिक एवं बाह्य दोनों ही सुरक्षाओं के लिए अत्यन्त गम्भीर खतरे के रूप में सामने खड़ा है।
इसके अतिरिक्त अमेरिका द्वारा लगातार पाकिस्तान को सैन्य व आर्थिक सहायता देने से पाकिस्तान भारत के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाता जा रहा है, जोकि भारत के लिए एक गम्भीर समस्या है। पाकिस्तान द्वारा लगातार दूर तक मार करने वाली तथा परमाणु सामग्री ले जाने में सक्षम मिसाइलों का परीक्षण भारत को अपरम्परागत युद्ध की तैयारी के लिए न्यौता दे रहा है।
1999 का कारगिल संघर्ष घुसपैठ के बाद प्रारम्भ हुआ इससे यह शिक्षा मिली कि पाकिस्तान चोरी छिपे अप्रत्यक्ष तौर पर किसी भी प्रकार भारत को नुकसान पहुँचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। आतंकवादियों का प्रशिक्षण शिविर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में खुलेआम आतंकवादियों को प्रशिक्षण दे रहा है। यह सीधे तौर पर भारत के लिए एक चुनौती है तथा इससे भारत की आन्तरिक व बाह्य सुरक्षा पूरी तरह से प्रभावित होती है।
पाकिस्तान का परमाणु परीक्षण और भारत की सुरक्षा पर प्रभाव - 11 और 13 मई 1998 ई. को जब भारत ने पोखरन में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण किये तो पाकिस्तान ने भी उसके जबाव में 28 मई, 1998 ई. को छ: परमाणु परीक्षण करके परमाणु क्षेत्र में शक्ति परीक्षणों के सम्बन्ध में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने संक्षिप्त टिप्पणी में कहा कि "इन परीक्षणों से भारत को इस रुख की पुष्टि हो गई है कि भारत को चीन और पाक दोनों देशों से परमाणु खतरा था। पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ० अब्दुल कादिर खान के शब्दों में "भारत को केवल तीन बमों की आवश्यकता होगी यदि वह पाकिस्तान को बरबाद करना चाहे और हमें भारत को बरबाद करने के लिए पाँच बमों की आवश्यकता होगी।' अब्दुल कादिर के इन शब्दों से ही पाकिस्तान के मंसूबों का खुलासा हो जाता है कि वह भारत के प्रति क्या भावनायें रखता है।
भारत-पाक परीक्षणों से इस उपमहाद्वीप में भय का सन्तुलन कायम हुआ है और जब तक दोनों देशों के बीच 'भय का सन्तुलन कायम रहेगा तब तक भारत-पाक परमाणु युद्ध नहीं छिड़ेगें। फिर भी पाकिस्तान के पिछले इतिहासों को देखते हुए हम कह सकते हैं कि एक-दूसरे के परमाणु बमों से जितना खतरा भारत और पाकिस्तान को है, उतना बड़ा अमरीका और रूस को भी नहीं है, क्योंकि उन्हें खत्म होने के लिए आधे घण्टे का समय मिल सकता है, परन्तु हमें खत्म होने के लिए पाँच मिनट भी नहीं मिलेंगे।
गौरी मिसाइल परमाणु शस्त्र ले जाने में सक्षम है तथा इसे अपने लक्ष्य तक पहुँचने में केवल 7 मिनट का समय लगेगा। दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, नागपुर, ट्राम्बे, जालन्धर व जैसलमेर आदि प्रमुख शहर इसकी मारक परिधि में आते हैं। इससे बचने के लिए भारत के पास कोई सटीक सुरक्षा प्रणाली नहीं है।
चीन से खतरा
भारत की सुरक्षा को दूसरा बड़ा खतरा उसके पड़ोसी राष्ट्र चीन से भी है। चीन के नेताओं का उद्देश्य है कि चीन विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना का गठन करके विश्व शक्ति के रूप में समाने आए। चीन का उद्देश्य समस्त संसार के राष्ट्रों के मस्तिष्क में चीन का दबदबा बैठाना है।
1959 तक भारत व चीन के सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण थे, परन्तु 1959 में जब चीन कम्युनिस्ट झण्डे के नीचे शासन करने के लिए कटिबद्ध हुआ तब से चीन का रुख भारत के प्रति शत्रुता का हो गया। इसका परिणाम जल्द ही भारत के सामने 1962 के भारत चीन युद्ध के रूप में सामने आ गया। इस युद्ध में चीन ने भारत को पराजित कर उसकी हजारों वर्गमील भूमि पर अपना अधिकार कर लिया, जो आज भी उसके कब्जे में है। इस युद्ध के बाद से भारत तथा चीन के मध्य सम्बन्धों में तनाव बढता ही रहा। 1971 में भारत-रूस संधि ने चीन को चौंका दिया, क्योंकि चीन को विश्वास हो गया कि चीन विरोधी कार्यवाहियों में रूस सदैव भारत का साथ देगा। इस बात को चीन दूसरे रूप में देखता है। इसी कारण उसने पूर्वोत्तर भारत में नागा और मिजो जातियों को भारत के विरुद्ध उकसा दिया है। वह भारत के कट्टर शत्रु पाकिस्तान की पीठ भी ठोंकता रहता है।
यद्यपि भारत का सदैव यही प्रयास रहा है कि चीन से उसके सम्बन्ध मधुर हो जायें, तथापि चीन की कथनी व करनी में अन्तर ही पाया गया है। भारत ने चीन से मधुर सम्बन्ध बनाने के सम्बन्ध में दूतों का आदान-प्रदान भी किया है, ताकि दोनों देशों के सम्बन्ध सुदृढ़ व मधुर हो सकें, परन्तु निर्यात के मामले में दोनों देश एक-दूसरे के प्रतियोगी हैं। अतः दोनों देशों के मध्य मैत्री सम्बन्ध बनने के आसार कम ही नज़र आते हैं।
चीन दक्षिण - पूर्वी एशिया में अपने प्रभाव को धीरे-धीरे बढ़ा रहा है। अब तक चीन छः परमाणु परीक्षण कर चुका है। भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों की गतिविधियाँ बढ़ी हैं तथा सीमा रेखा पर चीनी चौकियों का निर्माण कार्य भी देखा गया है। ऐसी दशा में यह कहा जा सकता है कि भारत को चीन से खतरा सीमावर्ती क्षेत्रों की ओर से है। अतः भारत को अपनी सीमावर्ती क्षेत्रों की चौकसी पूर्ण सतर्कता के साथ करनी होगी ताकि एक बार फिर 1962 का युद्ध न दोहराया जा सके।
इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्रों में से सर्वाधिक खतरा पाकिस्तान तथा चीन से है। खतरों को देखते हुए भारत की स्थिति बड़ी नाजुक है। इसलिए भारत को दोनों ही पडोसियों से सतर्क रहने की आवश्यकता है।
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- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
- प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
- प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
- प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
- प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
- प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
- प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
- प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
- प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
- प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
- प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
- प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
- प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
- प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
- प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए